रेवातट
देवगिरी
जीते............ कव्विजन गाइ||०१||
शब्दार्थ : देवगिरि-आधुनिक
दौलताबाद का नाम था| वर्तमान में महाराष्ट्र में औरंगाबाद में एक दुर्ग है|
देवगिरि नामक नगर और दुर्ग भी था| सुभट-श्रेष्ठ वीर|
व्याख्या : (पृथ्वीराज ने
देवगिरि के राजा की पुत्री शशीवृत्ता का अपहरण करके उससे शादी की थी| जिसके राजा
जयचंद को मंगनी दी जा चुकी थी| उसके फलस्वरूप पृथ्वीराज के सेनापति चामंडराय की
अध्यक्षता में देवगिरि के राजा और जयचंद की संयुक्त सेना से युध्द हुआ था|
चामंडराय विजयी होता है| उसके अनुसार नर्मदा नदी दिल्ली से देवगिरि जानेवाले मार्ग
में पडती थी|) जब देवगिरि को जीतकर श्रेष्ठ वीर चामंडराय आता है तब सब कवियों ने
राजा पृथ्वीराज की कीर्ति का जय गान किया गया|
मिलत
राज......... अपुब्ब झुण्ड||०२||
शब्दार्थ : प्रथिराज-यह अजमेर
के राजा सोमेश्वर के पुत्र थे| रेवा-आधुनिक नर्मदा नदी का नाम था|
व्याख्या : जब पृथ्वीराज का जय
गान होता है उसके बाद चामंडराय ने महाराज पृथ्वीराज से मिलकर कहा कि यदि आप रेवातट
पर चलने की इच्छा करें तो वहां वन में अपूर्ण हाथियों के झुण्ड मिलेंगे|
बिन्द
ललाट प्रसेद,........... कथ उच्चरिय||०३||
शब्दार्थ : बिन्द-बिंदु, बूंद|
ललाट-माथा| प्रसेद-पसीना| गजराज-गजों का
राजा| ऐरावति-इंद्रहस्ती|
सुरराजं-इंद्र| उमया-उमा| हस्तिन-हाथी|
औलादी-सन्तान| दाहिम्भै-दाहिम(राज पूतों की जाति विशेष|
व्याख्या : शंकर ने अपने ललाट
के प्रस्वेद की बूंद से तिलक करके गज को गजराज बना दिया और ऐरापति नाम करण करके उसे
सुरराज को सवारी के लिए दिया (शंकर ने अपने ललाट के पसीने की बूंद से गजराज को
उत्पन्न किया|) उसने राक्षस समूह का गंजन कर उमा के ह्रदय को रंजित किया अर्थात
प्रसन्न किया| और उन्होंने कृपालु होकर उसे एक सुंदर हथिनी प्रदान की| इन्हीं
(हाथियों) के शरीर से उनका कुटुंब बढ़ा और रेवातट के वन में फैल गया| सामंतों के
नाथ (पृथ्वीराज) से मिल कर दाहिम (चामंडराय ने इस कथा का वर्णन किया|
च्यारि
प्रकार.............. आइ धरत्तिय||०४||(चंद कवि का उत्तर
आगे)
शब्दार्थ : च्यारि-चार,
पिध्यि-पेखना, देखे जाना, पुच्छि-पूछाम नरपत्तिय-राजा, सुर वाहन-देवताओं की सवारी,
किम-किस प्रकार, धरत्तिय-धरती, पृथ्वी|
व्याख्या : चामंडराय पृथ्वीराज
से कहता है, उस वन में भद्र, मंद, मृग और साधारण ये चार प्रकार के हाथी देखे जाते
हैं| तब नरपति (पृथ्वीराज ने चंद कवि से पूछा कि देवताओं का वाहन पृथ्वी पर किस
प्रकार आ गया|
हेमाचल
उपकंठ एक............... इम भुवि रहिय||०५||
शब्दार्थ : हेमाचल-हिमालय पर्वत,
उपकंठ-निकट,समीप, वट-बरगद, तृष-वृक्ष, पेड़, उतंग-ऊँचा, जोजन-योजन, परमान-प्रमाण,
साष- शाख, भंजि-भंजन, तोडना, मतंगं-हाथी| बहुरि-फिर, दुरद-दो हाथोंवाला हाथी,
ढाहि-गिराना, आरामं-फुलवारी, बगीचा, देषि-देखकर, आरुढ़ण-आरोहण, चढना,
संग्रहिय-संग्रह किया, संभरि नरिंद-साँभर का राजा(पृथ्वीराज), सुर गइंद-हाथी,
भुवि-भूमि रहिय-रह गया|
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