विद्यापति की पदावली
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सं. डॉ. नरेंद्र झा (पद-१ से २५)
नन्दक
नन्दन कदम्बक तरु-तर, धीरे-धीरे
मुरलि बजाव|
समय
संकेत-निकेतन बइसल, बेरि
बेरि बोलि पठाब||
सामरि,
तोरा लागि, अनुखन
विकल मुरारि||
जमुनाक
तिर उपवन उद्वेगल, फिरि
फिरि ततहि निहारि|
गोरस
बेचए अवइत जाइत, जनि
जनि पुछ बनमारि
तो
हे मतिमान, सुमति! मधुसूदन! बचन सुनह किछु मोरा|
भनइ
विद्यापति सुन वरजौवति वन्दह: नन्द-किसोरा ||०१||
(राधा
की वन्दना)
देख-देख
राधा रूप अपार|
अपुरूब
के बिहि आनि मिला ओल, खिति-तल
लावनि-सार||
अंगहि
अंग-अनंग मुरछायत, हेरए
पडए अथीर|
मनमथ
कोटि-मंथन करु जे जन, से
हेरि महि-मधि गीर||
कत
कत लखिमी चरन-तल ने ओछए, रंगिनी
हेरि विभोरि|
करू
अभिलाख मनहि पद पंकज, अहोनिसि
कोर अगोरि||०२||
वय:संधि
सैसव
जौवन दुहु मिलि गेल, स्त्रवन क पथ दुहु लोचन लेल||
बचन
क चातुरि लहु-लहु हांस, धरनिये चाँद कएल परगास||
मुकुर
लई अव करई सिंगार, सखि पूछइ कइसे सुरत–विहार||
निरजन
उरज हेरइ कत बेरि, हसइ से ऊपन पयोधर हेरि||
पहिल
बदरि-सम पुन नवरंग, दिन-दिन अनंग अगोरल अंग||
माधव
पेखल अपुरूब बाला, सैसव जौवन दुहु एक भेला||
विद्यापति
कह तुहु अंगे आनि, दुहु एक जोग हइ के कह संयानि||०३||
पहिलें
बदरि कुच पुन नवरंग, दिन दिन बाढए पिडए अनंग||
से
पुन भए गेल बीज कपोर, अब कुज बाढल सिरिफल जोर||
माधव
पेखल रमनि संधान, धाटहि भेटल करत सिनान||
तनसुक
सुबसन हिरदय लागि, जे पुरुष देखन तेकर भागि||
उर
हिल्लोलित चाँचर केस, चामर झाँपल कनल-महेस||
भनइ
विद्यापति सुनह मुरारि, सुपुरुख बिलसए से बरनारि||०४||
खने-खन
नयन कोज अनुसरई, खने खन बसन धूलि तनु भरई||
खने
खन दसन-छटा छुट हास, खने खन अधर भागे गहु वास||
चउकि
चलए खने खन चलु मंद, मनमथ-पाठ पहिल अनुबंध||
हिरदय-मुकुल
हेरि हेरि थोर, खने आँचर दए खने होय भोर||
बाला
सैसव तारुन भेट, लखए न परिअ जेठ कनेठ||
विद्यापति
कह सुन वर कान, तरुनिम सैसव चिन्हइ न जान||०५||
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