गुरु
गुरु अपना आप देखो, गुरु के रूप है अनेक|
माता पिता हो, या हो कोई अपना शिक्षक|
हर उस रूप में गुरु है, जो बनता है मार्गदर्शक|
गुरु चाहे कोई भी हो, होना चाहिए पथदर्शक|
शिष्टाचार सिखा दे, जीने की कला बता दे|
गुरु अपने शिष्य को, जीवन का ज्ञान बता दे|
गुरु जैसा चेला होता है, कहते है सब लोग यहाँ|
गुरु अगर चाँद है, तो चेला करेगा प्रकाश सारे जहाँ|
गुरु से ही बनते है, सब बिगड़े काम शिष्य के|
गुरु बिन अधूरे है, सब काम काज मानव के|
गुरु का नाही जाति, रंग रूप देखा जाता है|
हम है भटके प्राणी, सिर्फ उनका ज्ञान देखा जाता है|
हमें और आपको आगे बढना है तो सब जन सुनो!
आप आपने जीवन में गुरु सोच समझकर ही चुनो|
गुरु के व्यक्तित्व का प्रभाव हमपर पड़ता है|
गुरु के ही कारण हमारा कृतित्व घडता है|
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