हिंदी साहित्य

हिंदी साहित्य

Kalidaas kvita ki vyaakhya | कालिदास कविता की व्याख्या


कालिदास :

प्रकाशन एवं संकलन : यह कविता ‘संतरंगे पंखोंवाली’(१९५९) इस कविता संग्रह में संकलित है| इस कविता का विषय ‘कालिदास’ के मेघदूत इस रचना से है|

“कालिदास! सच-सच बतलाना...............................कामदेव जब भस्म हो गया|”

     कवि नागार्जुन ने इस कविता के शुरुवात में ही कालिदास को प्रश्न पूछा है| कालिदास ने जिसतरह की काव्य रचना की है, उसमें उन्होंने जिस तरह से अपने भावनाओं और सवेदनाओं ओ पिरोया है| उस भावनाओं पर नागार्जुन ने कालिदास को प्रश्न पूछे है| कालिदास तुम सच-सच बताना कि, इंदुमती के मृत्यु के शोक से अज (एक पात्र) रोया था या तुम (कालिदास) रोये थे| अर्थात, कवि कालिदास को कहते है, तुमने अपने रचनाओं के पात्रों की जिस तरह से रचना की है| उन पात्रों की रचना करते समय स्वयं तुम रोये थे या नहीं? या वह पात्र रोया था|

     भगवान शिव की जब तीसरी आँख खुली थी| शिव यह तीसरी आँख तभी खुलती है| जब उन्हें बहुत क्रोध आता है| उस खुली हुई आँख से जो महाज्वाला निकलती है| उस महाज्वाला में कामदेव इसतरह भस्म हो गया था जैसे किसी यज्ञ हवन कुंड में घी और हवन की मिश्रण सामग्री डालकर भस्म हो रहा हो| तब उस कामदेव की मृत्यु के बाद उसकी पत्नी रति का क्रन्दन (विलाप) सुनकर उस आँसुओं से तुमने (कालिदास) अपने नेत्र धोये थे| और कालिदास सच-सच बतलाना कि, तब उस कामदेव के मृत्यु पर रति रोयी थी या तुम रोये थे? यह सवाल कवि कालिदास से पूछ रहे है जिसतरह ‘मेघदूत’ के पात्रों की तुमने रचना की| उन भावनाओं में तुम खो नहीं गये थे? जब तक एक कवि अपने पात्रों के साथ उनकी भावनाओं के साथ मील नहीं जाता तब तक उन पात्रों को न्याय नहीं दे सकता| इसलिए कवि ने कालिदास को यह प्रश्न पूछा है|

“वर्ष ऋतु की स्निग्ध भूमिका.............................कालिदास! सच-सच बतलाना!”

     आगे कवि कहते है, आषाढ़ महीने का पहिला दिन था| जिस दिन वर्षा ऋतु चिकनाहट भरी भूमि थी| आकाश में श्याम के समय देखने पर घने बादल छाए हुए थे| एकाकी यक्ष जिसका मन उदासीन, विरक्त हुआ था| खड़े-खड़े तब उसने हाथ जोड़कर चित्रकूट पर्वत से सुन्दर शिखर पर उस बेचारे ने भेजा था| उन सरोवर जैसे भरे हुए मेघों का साथी बनकर उड़नेवाले व्दारा ही तुमने (कवि कालिदास) संदेश भेजा था| कवि कहते है कि, कालिदास सच-सच बतलाना क्या वह संदेश तुमने नहीं भेजा नहीं था| वह यक्ष पीड़ा से दुखी था और थका-हरा चूर-चूर हो गया था| उस स्वच्छ, सफेद गिरी शिखरों पर प्रियवर! तुम कब तक सोये थे? तब उस वक्त वह यक्ष रोया था या तुम (कालिदास) रोये थे| कवि अंत तक कालिदास के पात्रों के भावनाओं के साथ जुड़े हुए है| जिस स्थिति में कालिदास ने अपने पात्रों की रचना की है, उन पात्रों के साथ स्वयं कालिदास भी रोये थे, दुखी हुए थे|
     यहाँ कवि ने दूसरे कवि के कविताओं में चित्रित पात्रों के साथ कवि किसतरह जुदा हुआ रहता है इसका वर्णन किया है|

निष्कर्ष :

कालिदास और उनके रचना मेघदूत के पात्रों का वर्णन
कवि पात्रों एवं चरित्रों के साथ जुड़ता है
भावना एवं संवेदनाओं का चित्रण
कालिदास को कवि नागार्जुन ने प्रश्न पूछे है
कवि और कविता एक दूसरें के पूरक होते है|
जब एखाद पात्र रोता-हँसता है, तो कवि भी रोता है|


नोट : नेट की संपूर्ण कविता एक साथ पढने के लिए इस लिंक पर जाकर देख सकते हैं| - https://imojo.in/3logqm8
SHARE

Milan Tomic

Hi. I’m Designer of Blog Magic. I’m CEO/Founder of ThemeXpose. I’m Creative Art Director, Web Designer, UI/UX Designer, Interaction Designer, Industrial Designer, Web Developer, Business Enthusiast, StartUp Enthusiast, Speaker, Writer and Photographer. Inspired to make things looks better.

  • Image
  • Image
  • Image
  • Image
  • Image
    Blogger Comment
    Facebook Comment

0 टिप्पणियाँ:

एक टिप्पणी भेजें

thank you