हिंदी साहित्य

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गोदान की कथावस्तु | गोदान का सारांश | गोदान की कथा |

 

गोदान का सारांश 

लेखक : प्रेमचन्द

प्रकाशन : 1935

पात्र :

पुरुष पात्र :

·        होरी – उपन्यास का नायक, वेलारी ग्राम का साधारण कृषक, कृषक वर्ग का प्रतिनिधित्व|

·        रायसाहब अमरपाल सिंह – सेमरी ग्राम के निवासी, जमीदार वर्ग का प्रतिनिधित्व

·        प्रोफेसर मेहता – दर्शनशास्त्र के प्राध्यापक, बुध्दिजीवी वर्ग का प्रतिनिधित्व

·        गोबर – होरी और धनिया का पुत्र, विद्रोही चेतना का प्रतीक,

·        पंडित दातादीन – वृध्द पंडित, गाँव के सम्मानित व्यक्ति

·        भोला – झुनिया और कामता का पिता

·        हिरा – होरी का छोटा भाई, पुनिया का पति

·        शोभा – होरी का छोटा भाई

·        पंडित ओंकारनाथ – दैनिक पत्र बिजली के संपादक, रायसाहब के मित्र

·        श्याम बिहारी तंखा – पेशे वकील पर वकालत छोडकर बिमा कंपनी के एजेंट

·        मिस्टर खन्ना – बैंक के मैनेजर एवं शक्कर मिल के मैंनेजिंग डायरेक्टर

·        मिर्जा खुर्शेद – दिल्लगीबाज एवं बेफिक्र व्यक्ति

·        पंडित नोखेराम – जमीदार के कारकुन, किसानों के शोषक

·        झिंगुरी सिंह – गाँव के महाजन शहर के बड़े महाजन के एजेंट

·        गंडासिंह – हलके का थानेदार, भ्रष्ट्राचारी

·        पटेश्वरी – गाँव का पटवारी, भ्रष्ट्राचारी एवं स्वार्थी

·        मंगरू साह – गाँव का सबसे धनी व्यक्ति, पूजा-पाठ में मग्न

स्त्री पात्र :

·        धनिया – होरी की पत्नी, उपन्यास की नायिका, कृषक स्त्री वर्ग की प्रतिनिधित्व

·        मालती – इंग्लैड से डाक्टरी पढकर आई हुई नवयुवती

·        झुनिया – भोला की विधवा पुत्री

·        गोविंदी – खन्ना साहब की पत्नी, (प्रेमचन्द ने प्रारंभ में इसका नाम कामिनी खन्ना दिया है), आदर्श नारी

·        सिलिया – पं. मातादीन की प्रेमिका

·        सोना – होरी की बड़ी बेटी (उम्र १२ साल)

·        रूपा – होरी की छोटी बेटी (उम्र ६ साल)

·        सरोज – मालती की बहन

·        नोहरी – जाति की अहीरिन, झुनिया के पिता भोला से उसने दूसरा विवाह किया था|

·        दुलारी सहुआइन – गाँव की साहुकारिन

·        चुहिया – झुनिया की शहर में रहनेवाली पड़ोसन, नरमदिल स्त्री| 

उपन्यास का विषय :

ü यथार्थवादी उपन्यास

ü कृषक जीवन की समस्या

ü तत्कालीन समाज का चित्रण

ü गरीबी की विवशता

ü जाती-वर्ण भेद की समस्या

ü किसान की अभिलाषा

ü प्रेम और त्याग का चित्रण

ü ग्रामीण जीवन संघर्ष

कथावस्तु :

    गोदान दोहरे कथानक वाला उपन्यास है| इसमें ग्राम्य एवं नागरी जीवन शैली का वर्णन किया गया है| ये दोनों कथाएँ परस्पर बहुत कम संबंध्द हैं, अत: यहाँ अलग-अलग इन दोनों कथाओं का सारांश प्रस्तुत किया जा रहा है|

ग्रामीण कथा : होरी लखनऊ के निकटवर्ती बेलारी गाँव का किसान है| उसके पास केवल पांच बीघा जमीन थी, किन्तु रायसाहब अमरपाल सिंह की कृपादृष्टि से गाँव में उसका काफी सम्मान था और वह महतो कहलाता था| उसका जमीदार के यहाँ आना-जाना था| उसकी पत्नी धनिया कुछ तीखे स्वभाव की स्त्री हैं, किन्तु साथ ही वह बड़ी सहनशील और भावनामयी स्त्री है| पुत्र गोबर उग्र स्वभाव का विद्रोही युवक है| होरी की दो पुत्रियाँ भी हैं- सोना और रूपा, जिनकी उम्र क्रमश: बारह और आठ साल है| एक दिन वह रायसाहब से मिलने जा रहा था, तो उसकी भेंट भोला अहीर से हुई, जो गाय चरानेवाला था| गायों को देखकर होरी के मन में गाय खरीदने की चिर-संचित अभिलाषा जाग उठी| बातों ही बातों में उसने जान लिया कि भोला पत्नी के मरने के बाद अब दूसरी शादी करना चाहता है| होरी ने उसकी सगाई करने का आश्वासन दिया और साथ ही गाय खरीदने की इच्छा भी प्रकट की| भोला उसे गाय देने को तैयार हो गया, किन्तु जब उसे मालुम हुआ कि भोला भूसा क्रय न कर पाने के कारण गाय बेच रहा है, तो उसका विचार बदल गया| उसने भोला से भूसा ले जाने को कहा और रायसाहब से मिलने चला गया|

    होरी जब रायसाहब के घर से वापस लौटा, तो कुछ ही क्षणों में भोला भी भूसा लेने आ पहुंचा| उसे तीन खांचे भूसा देकर होरी ने विदा किया और गोबर के साथ पहुंचाने भी गया| लौटते समय आधे रास्ते तक झुनिया उसे छोड़ने आयी| उनका पारस्परिक प्रेम गहरा होता जा रहा था| इधर गाय की प्रतीक्षा में होरी, धनिया, सोना और रूपा सभी प्रसन्न थे| होरी ने अपने भाइयों के साझे के बाँस बेचकर कुछ रुपए बचाने का असफल प्रयास किया| होरी के घर गाय पूर्ण हुई है| गाय बहुत सुंदर और अच्छी थी, यह समाचार सारे गाँव में आग की भांति फैल गया| किन्तु गाय क्या आयी, होरी के दुर्दिन अपने साथ लायी| भाइयों में मन-मुटाव तो था ही, हीरा से विशेषकर| एक दिन मौंका मिलते ही रात में हीरा ने चुपचाप गाय को विष दे दिया और रात में ही गाय मर जाती है| होरी ने उसे देख लिया था| जब होरी ने धनिया पर अपने संदेह की बात कहीं, तो धनिया सीधे हीरा के घर पहुंची और हीरा पर हत्या का आरोप लगाया| पुलिस ने हीरा के घर की तलाशी लेनी चाही, लेकिन होरी ने अपने भाई की रक्षा के लिए अपने गोबर की झूठी कसम खायी कि उसे यह पता नहीं है कि गाय को किसने जहर दिया|

   हीरा घर से भाग गया था| उसकी पत्नी पुनिया असहाय हो गयी थी| अब होरी को पुनिया की भी चिंता होने लगी| सावन में होरी ने अपने धान की रोपाई नहीं की, लेकिन पुनिया के धानों की रोपाई समय पर कर दी| परिणामस्वरूप होरी की फसल बहुत कम हुई और पुनिया के घर अनाज रखने की जगह न थी| धनिया के स्वभाव में भी अब पुनिया के प्रति सदाशयता जाग उठी थी और पुराने बैर को वह भूल चुकी थी|

    झुनिया और गोबर के प्रेम का परिणाम यह हुआ कि झुनिया गर्भवती हो जाती है और गोबर उसे अपने घर में आने को कहकर खुद भाग जाता है| होरी उस समय खेत पर था, धनिया घर में अकेली थी| झुनिया जब घर पहुंची, तो धनिया ने उसे खूब भला-बुरा कहा| झुनिया रोने लगी, रोते-रोते उसने सारी बातें बता दी| धनिया इस स्थिति में उसे घर से निकालने का साहस न कर सकी| वह होरी को इसकी सूचना देने खेत पर गयी| पहले तो होरी भी घटना सुनकर क्रुध्द हुआ, किन्तु बाद में धनिया के समझाने पर उसे घर में रखने पर उद्यत हो गया| धनिया का ह्रदय अब दयावान हो जाता है| झुनिया ने होरी से शरण मांगी और उसके पांवों पर गिर पड़ी| होरी ने उसे आश्वासन दिया और अपने घर में रख लिया| गोबर छिपे-छिपे यह सब क्रिया-कलाप देख चुका था और संतुष्ट होकर कमाई करने के उद्देश्य से नगर की ओर चला गया|

     झुनिया जाति-बाहर की थी, इसलिए उसे शरण देने और बहू बनाने के प्रश्न पर गाँवों वालों ने होरी का बहिष्कार कर दिया, उसका हुक्का-पानी बंद कर दिया| एक दिन झुनिया को लेकर दातादीन और धनिया में बाद-विवाद हो जाता है| फिर दातादीन ने गाँव के कुछ प्रमुखों को इस पक्ष में कर लिया कि होरी पर सौ रुपए और तीस मन अनाज का दंड लगाया जाए| यही हुआ, असहाय होरी घर का सारा अनाज झिंगुरी सिंह की चौपाल में भरता रहा और अपना घर रेहन रखकर रुपयों की व्यवस्था की| धनिया इस पर बहुत झुंझलाती है, मगर सब व्यर्थ! अब होरी के घर खाने तक को अनाज न था| इससे वह चिंतित रहने लगा और गोबर की भी कोई सूचना नहीं मिली थी| भोला भी इससे क्रुध्द हो गया था क्योंकि झुनिया को घर में रखकर उसने भोला का अपमान कर दिया था| अत: वह गाय का मूल्य लेने घर आ धमका| होरी रूपये कहाँ से देता? फलत: भोला उसके दोनों बैल खोल ले गया| होरी के तो जैसे दिनों हाथ ही कट गए|

    बैलों के बिना होरी के खेतों की जुताई न हो सकी और वह दूसरों के खेतों में काम करने लगा| धनिया, सोना और रूपा भी दूसरों के खेतों में काम करने लगी| एक दिन दातादीन ने साझे में खेती करने का प्रस्ताव रखा| होरी ने इसे मान लिया और वह अपने ही खेतों में मजदूर की हैसियत से काम करने लगा| होरी सोचता था कि ईख बेचकर वह बैल ले लेगा, किन्तु साहूकार-महाजन ईख के सरे रूपये ले गए|

     इधर गोबर को लखनऊ नगर में रहते सालभर हो गया है| अब वह गाँव का सीधा-सादा नवयुवक नहीं है, बल्कि नगरसभ्यता से अच्छी तरह परिचित हो गया है| पहले इसने मिर्जा खुरशेद के पास १५ रुपए मासिक पर माली की नौकरी की और बाद में कुछ रुपए जमा कर खोमचा लगाना प्रारंभ कर दिया| अब उसने एक दूकान खोल ली है, जिससे उसको ढाई-तीन रुपए रोज की आमदनी होने लगी| इन ग्यारह महीनों की दो सौ की कमाई लेकर वह झुनिया को लाने चल पड़ा|

    एक दिन होरी खेत में ईख काट रहा था कि दातादीन ने सुकी पत्नी धनिया को फटकारा| इसका प्रभाव यह हुआ कि काम करते-करते अचानक होरी अचेत हो गया| धनिया अपने पति की यह दशा देखकर व्याकुल हो उठी और उसकी सेवा-सुश्रुषा में लग गयी| इसी समय गोबर भी आ पहुंचा| सब लोग बड़े प्रसन्न हुए| उसने अपने साथ लाया हुआ सब सामान एक-दूसरे को बांटा और फिर गाँव में घूमकर सब पर अपना प्रभाव जमाया| वह भोला के गाँव भी गया और उसे बातों में फुसलाकर अपने बैल ले आया| गोबर से गाँव के सब मुखिया चिढ़े हुए थे| दातादीन से उसने साफ कह दिया कि होरी अब किसी का काम नहीं करेगा| दातादीन ने अपने रूपये मांगे, तो गोबर ने सरकारी ब्याज के हिसाब से रूपये देने चाहे| किन्तु होरी को लगा कि यह अधर्म है| दोनों बाप-बेटे में मन-मुटाव हुआ और वह झुनिया तथा छोटे पुत्र को लेकर लखनऊ लौट गया| गोबर के चले जाने के बाद होरी का घर सूना हो गया| उधर गाँव में दातादीन के पुत्र मातादीन ने सिलिया चमारिन को रखैल के रूप में रखा था| एक दिन मातादीन, सिलिया, दातादीन और होरी आदि खेत में अनाज ओसा रहे थे तभी सिलिया के माँ-बाप और दिनों भाई अपनी बिरादरी के साथ वहां पहुंचे| उन्होंने मातादीन का जनेऊ तोड़ डाला और उसके मुंह में हड्डी डाल दी| सिलिया को वे लोग ले जाना चाहते थे| किन्तु बहुत मार खाने पर भी वह उनके साथ नहीं गयी| इससे मातादीन के धर्मभ्रष्ट होने की बात सारे गाँव में फैल गयी| दातादीन ने मातादीन को समझाया कि वह सिलिया का साथ छोड़ दे, बाकी वह सब ठीक कर लेगा| मातादीन ने सिलिया को बुरा-भला कहा तो विवश होकर सिलिया होरी की शरण में आयी और उसी के यहाँ रहने लगी|



नोट्स : इसके आगे की कथावस्तु आप मेरे यूटुब पर सुन सकते हैं यह नीचे दिए हुए लिंक पर जाकर नोट्स लिखित ले सकते हैं|

All Notes of hear : www.instamojo.com/Varsha_More_Pawde १) नेट के नाटक के नोट्स https://imojo.in/8mg322 2) नेट की कविताओं का संकलन - https://www.instamojo.com/Varsha_More_Pawde/17cffbb9c58d63dd0c222625b0f7d766 3) हिंदी नेट की कहानियों के नोट्स हिंदी नेट की कहानियाँ : एक अध्ययन https://imojo.in/2z6v6r5 ४) हिंदी नेट की कविताओं की व्याख्या https://imojo.in/4dgtw2u 5) नेट की रचनाओं के पात्र, विषय, ईसन, क्रमवार सूचि https://imojo.in/4fy5bx7


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Milan Tomic

Hi. I’m Designer of Blog Magic. I’m CEO/Founder of ThemeXpose. I’m Creative Art Director, Web Designer, UI/UX Designer, Interaction Designer, Industrial Designer, Web Developer, Business Enthusiast, StartUp Enthusiast, Speaker, Writer and Photographer. Inspired to make things looks better.

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