कामायनी
प्रकाशन : इसका प्रकाशन १९३५ में हुआ है|
काल / युग : छायावादी युग
भाषा : साहित्यिक खड़ीबोली
रस : श्रुंगार रस, शांत रस,
शैली : प्रतीकात्मक
दर्शन : शैव दर्शन, प्रत्यभिज्ञा
दर्शन
प्रतीक : श्रध्दा – ह्रदय, मनु-मन,
इड़ा बुध्दि
पात्र :
·
श्रध्दा - (कामगोत्रजा, कामयानी),
·
मनु - (प्रलय में बचा हुआ एकमेव देवाताओं का व्यक्ति),
·
इड़ा - (सारस्वत प्रदेश की रानी),
मानव - (श्रध्दा और मनु की सन्तान) ![]() |
https://imojo.in/3logqm8 |
सर्ग : पन्द्रह(१५)
१. चिंता - जलप्मलावन में सबकुछ नष्ट होने के बाद मनु चिंता ग्रस्त होकर हिमालय की चोटी पर बैठा हुआ है|२. आशा - प्रकृति के बदले हुए रूप को देखकर मनु के मन में आशा का संचार होता है|
३. श्रध्दा - मनु के एकांत को दूर करने के लिए श्रध्दा आकर आत्मसमर्पण करती है|
४. काम - श्रध्दा के समर्पण के बाद मनु के मन में श्रध्दा के प्रति काम भावना का उदय होता है|
५. वासना - श्रध्दा और मनु का परिणय हो जाता है|
६. लज्जा - श्रध्दा के मन में प्रकृतिपरक भावना का उदय होता है|
७. कर्म - मनु के ह्दय में काम भावना के उदय ने वह हिंसा का कर्म करता है|
८. ईर्ष्या - श्रध्दा मनु को छोडकर अन्य पशु से ज्यादा प्रेम करती है, इस कारण मनु के मन इर्ष्या का भाव निर्माण होता है|
९. इड़ा - मनु घूमता हुआ सारस्वत प्रदेश की रानी इडा से मिलता है|
१०. स्वप्न - श्रध्दा के स्वप्न में मनु बहुत बुरी हालत में आता है|
११. संघर्ष - इसमें मनु, इडा, श्रध्दा का संघर्ष का समय आया है|
१२. निर्वेद - युध्द और संघर्ष के बाद मनु के मन में निर्वेद का भाव निर्माण होता है|
१३. दर्शन - श्रध्दा अपने बेटे मानव की सही जीवन का दर्शन कराती है और उसे इडा के पास भेज देता है|
१४. रहस्य - मनु के कहने पर श्रध्दा उसे हिमालय बहुत ही ऊँची चोटी पर ले जाकर वहां के भूमि का रहस्य बताती है|
१५. आनन्द : इस सर्ग में कैलाश मानसरोवर की पुण्यभूमि पर श्रध्दा और मनु को इडा, मानव और नंदी भी आकर मिलते है और सब आनन्दमय हो जाता है|
नोट : कविता का संकलन या नोट्स लेने के लिए आप नीचे दिए गए लिंक पर जाकर ले सकते है https://imojo.in/3logqm8
या मेरे युटुब चनल पर जाकर विडिओ देख सकते है : Varsha more paawde
0 टिप्पणियाँ:
एक टिप्पणी भेजें
thank you