प्रकाशन एवं संकलन : यह कविता
‘संसद से सड़क तक’ (१९७२) इस कविता में संकलित है| यह राजनीति पर कवि ने
व्यंग्य किया है|
मूल कविता:
एक आदमी
एक आदमी रोटी खाता है
एक तीसरा आदमी भी है
जो न रोटी बेलता है, न रोटी खाता है
वह सिर्फ रोटी खेलता है
मैं पूछता हूँ –
‘यह तीसरा आदमी कौन है?’
मेरे देश की संसद मौन है|
भावार्थ :
धूमिल की यह छोटी सी
कविता एक बहुत बड़ी बात कहती है| अर्थ के दृष्टी से बड़ी कविता ‘रोटी और संसद’ पर
करार प्रहार करती है| समाज में तीन वर्ग के लोग रहतें हैं| निम्न, मध्य और उच्च
वर्ग के| जिसमें रोटी तो खाने के लिए और जीने के लिए तीनों ही वर्गों के लोगों को
लगती है| किन्तु यही रोटी एक आदमी अर्थात, जो रोटी बनाता है| यहाँ कवि का संकेत
किसान वर्ग की तरफ है, जो बड़ी ही मेहनत से रोटी के लिए धान उगाता है| खेती करता
है| इसमें उसकी नजाने कितनी ही मेहनत खर्च हो जाती है| पर वही सुख से वह रोटी खा
नहीं पाता| अपनी जरूरतें पूर्ण करने के लिए उसे बेच देता है|
दूसरा आदमी है, जो किसान
की बनाई हुई धान की रोटी खाता है, वह व्यापारी वर्ग हम कह सकते है| जो बिना किसी
मेहनत की वह रोटी खाता है| और इन सबसे ऊपर एक आदमी है, जो रोटी बेलता है, न रोटी
खाता है| अर्थात, बिना कुछ किये उस गरीब की रोटी के साथ खेलता है| यानी उस किसान
के माल को अच्छी किंमत नहीं दी जाती| बल्कि कई बार उस माल को खरीदा भी नहीं जाता|
सरकारी राशन के दूकान में जो माल आता है उसमें भी भ्रष्टाचार किया जाता है| यह जो
भ्रष्टाचार करने वाला यह तीसरा आदमी है| जो हमारे संसद में बैठा हुआ इन दो आदमीयों
पर शासन करता है| कवि का आशय स्पष्ट है, यह तीसरा आदमी हमारा नेता वर्ग है| वह
सिर्फ इन लोगों को मिलनेवाली रोटी के साथ खेलता है| लोगों के भूख के साथ खिलवाड़
करता है| इसलिए कवि पाठकों, जनता को एक प्रश्न पूछते है--
वह जो तीसरा आदमी जो रोटी के साथ खेल रहा है
या खेलता है| वह कौन है? क्या आप उसे जानते है? आदमी की मूल जररूत जो रोटी से शुरू
होती है, उस मूल जररूत को छिनने का आधिकार उस तीसरे आदमी को किसने ने दिया? इस
सबमें संसद का हाथ बहुत बड़ा है| उस संसद के सदस्यों को जनता चुनकर देती है| वही
संसद मौन (शांत) है| अर्थात संसद में बैठे हुए जननेता ही जो इस रोटी के साथ अपने
स्वार्थ के लिए खेलते हैं|
कवि ने इस कविता में
हमारे राजनीति पर व्यंग किया है|
निष्कर्ष :
किसान वर्ग की मजबूरी का चित्रण
राजनीति पर करारा व्यंग किया है|
मुलभुत जरूरतों के साथ खिलवाड़ करनेवाले नेताओं पर प्रहार|
भ्रष्ट नेता की और संकेत
संसद में बैठे हुए सदस्यों को उद्देशित करके कहाँ है|
रोटी को तीन वर्ग में विभाजित किया है|
रोटी की दशा का चित्रण|
0 टिप्पणियाँ:
एक टिप्पणी भेजें
thank you